आलू की खेती करने वाले कृषक बन्धुओं को सलाह
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By यू पी ब्यूरो, विनोद कुमार सोनी
Published - 08 February 2024 174 views
सीतापुर जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि वर्तमान समय में पूरे उत्तर भारत में न्यूनतम् तापमान बहुत कम रह रहा है। अतः आलू की खेती करने वाले कृषक बन्धुओं को सलाह दी जाती है कि इन दिनों खेतों की नमी बनाये रखने हेतु सिंचाई कम अंतराल पर जरूर करें। कुछ क्षेत्रों में आलू की शीर्ष पत्तियों पर हल्का पीलापन हो रहा है जो मौसम के साफ होने एवं सूर्य की अच्छी धूप पड़ने पर स्वतः ठीक हो जाएगा। आलू की खुदाई के दस दिन पहले अंतिम सिंचाई रोंक दें। भण्डारण हेतु रखी जाने वाली फसल के पत्ते काटने के दस से पंद्रह दिन के बाद आलू की त्वचा अच्छी तरह से पकने पर ही खुदाई की जाये।जिन किसान भाईयों ने आलू की फसल में अभी तक फफूंदनाशक दवा का पर्णीय छिड़काव नहीं किया है या जिनकी आलू की फसल में अभी पिछेता झुलसा बीमारी पकट नहीं हुई है, उन सभी किसान भाईयों को यह सलाह दी जाती है कि वे मैन्कोजेब/प्रोपीनेब/ क्लोरोथेलोंनील युक्त फफूंदनाशक दवा का रोग सुग्राही किस्मों पर 0.2-0.25 प्रतिशत की दर से अर्थात 2.0-2.5 किलोग्राम दवा 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर छिड़काव तुरन्त करें। साथ ही साथ यह भी सलाह दी जाती है कि जिन खेतों में बीमारी प्रकट हो चुकी हो उनमें किसी भी फफूंदनाशक- साईमोक्सेनिल $मैन्कोजेब का 3.0 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर (1000लीटर पानी) की दर से अथवा फेनोमिडोन$मैन्कोजेब का 3.0किलोग्राम प्रति हैक्टेयर (1000लीटर पानी) की दर से अथवा डाईमेथोमार्फ 1.0किलोग्राम$मैन्कोजेब का 2.0किलोग्राम (कुल मिश्रण 3.0कि0ग्रा0) प्रति हैक्टेयर (1000लीटर पानी) की दर से छिड़काव करें। फफूंदनाशक को दस दिन के अंतराल पर दोहराया जा सकता है। लेकिन बीमारी की तीव्रता के आधार पर इस अन्तराल को घटाया या बढ़ाया जा सकता है।किसान भाइयों को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि एक ही फफूंदनाशक का बार-बार छिड़काव न करें। कवकनाशी, कीटनाशी, उर्वरकों एवं अन्य रसायनों के टैंक मिश्रण का छिड़काव किसी विशेषज्ञ की देख-भाल में ही करें।
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